कुछ भी और जानने से पहले, यह जान लेना जरूरी है कि, मानसिक(mental/ psychological )समस्या आम बात है, और यह हम में से किसी को भी हो सकती है।
जब हम मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे होते हैं, तब अनेक नकारात्मक विचार हमें घेर लेते हैं। इसी के चलते, अधिकतर हम इलाज लेने में भी कतराते हैं; और अधिक समय बीत जाने पर, समस्या भी बढ़ ही जाती है।

For best Ayurvedic treatment of depression and anxiety. Click here👉🏽👉🏽 and book your appointment. Your first step towards mental health.
आयुर्वेद और मानसिक स्वास्थ्य
आयुर्वेद में स्वास्थ्य की परिभाषा बताते हुए आचार्य चरक ने मन की प्रसन्नता को स्थान देकर उसका महत्व समझाया है। साथ ही, मानसिक रोगों से बचाव व उपचार के बारे में बताते हुए दिनचर्या, रात्रि चर्या, ऋतु चर्या, आचार रसायन(behavioral conducts), धारणीय वेग(urges need to be holed for psychological and social well-being), का प्रतिदिन अनुसरण (regular follow) करना बताया गया है।
कैसे होती है आयुर्वेद चिकित्सा ?
रोग के कारणों को जानकर आयुर्वेद चिकित्सा में औषधियों के साथ-साथ पंचकर्म शोधन चिकित्सा की जाती है। औषधियों में ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, मालकांगनी, बच, रजत भस्म,स्वर्ण भस्म, जैसी जड़ी बूटियों से तैयार दवा के साथ-साथ शिरोधारा, तक्रधारा, वमन, विरेचन, नस्य, वस्ति, पोटली मसाज जैसे पंचकर्म ट्रीटमेंट्स किए जाते हैं।

कौन से लक्षण हैं मानसिक समस्या के संकेत
- डर, तनाव, आक्रामकता,
- नींद न आना, या बहुत अधिक आना
- चिड़चिड़ापन, बेचैनी, घबराहट,
- व्यवहार और भोजन की आदतों में परिवर्तन,
- गुमसुम रहना, आत्मविश्वास की कमी, हीन भावना से ग्रसित होना,
- विचारों का खुद पर हावी होना, चीजों को बार-बार दोहराते रहना,
- वजन का अचानक कम या ज्यादा होना,
- किसी काम में मन नहीं लगना, उपरोक्त लक्षण मानसिक समस्या के संकेत हो सकते हैं।
“To sum up “
अगर आप या आपका कोई नजदीकी, उपरोक्त समस्याओं से ग्रस्त नजर आता है, तो उसके लिए आप मदद का हाथ बढ़ाएं, उसकी बात को सुनें, समझें, और उसे आयुर्वेद की राह दिखाएं।